Tuesday, June 27, 2017

Kaafiya Milaao's prompt : It takes much time to kill a tree...



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It takes much time to kill a tree,
To forget the shade once you sat in,
And pull out each leaf.



It takes much time to kill a tree,
To forget the fruits once relished...
And cut each branch


It takes much time to kill a tree
To collect all memories
Untying those ropes from the swing


It takes much time to kill a tree
To ward off the laughter
To forget the tears you once shared with.


It takes much time to kill a tree
To shake off those hiding moments
In the game of hide and seek


It takes much time to kill a tree
To forget that hearts you made
With initials of your crush within.


It takes much time to kill a tree
Upon whose branches rested a nest
Chirping birds in the season green


It takes much time to kill a tree
Under which you dug a pit
And hid those letters of love disease.


It takes much time to kill a tree
Who was your confidant
In whom you felt safe with secrets deep.


It takes much time to kill a tree
Who was your companion once
Who today looks at you with grief.


It takes much time to kill a tree
It should...
For in it you'll kill everything you had...
Moments....unforgettable...



16-06-2017





image: biology.stackexchange.com



Anonymously Yours...









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Some nights became anonymously yours without my permission....they belong to you....your thoughts....but my days live in fear .... of losing you!


Because in darkness... the echoes of fears fade away....and heart lights up with millions of glittering dreams....that promise me that we would never part...we would always dilute in each other like the ink in water....like the sound of me in you!




20-06-2017






image: vidur.net



Dreams of Love



























Image may contain: 1 person, smiling, sitting and text


You quietly peep into me, reading all my desires, the half opened window still waits...for you to jump down and chuckle at the stolen kiss that once you took with you...the unpainted thoughts remain blank at your mention and my brush blushes in anticipation of the crime my mind would have committed but.....all this is a mere imagination of those wild horses upon whose carriage my thoughts travel...far away with you in the woods...where the wet silt holds my wedges deeply as the first rain drops touch our faces....and I slap myself for the sin you have committed... taking over by thoughts like a storm...and leaving my head full of fairytales where am yours and you....mine!




24-06-2017




Rainbow Dreams





My eyes melted in the arms of the night and hugged a dream...tightly enough that my eyes drifted in darkness for a while....and when the rays of light shone...I felt floating on a cloud....with the most unexpected person...you....

The rainbow was bright...so bright that I would hide behind you...and you would chuckle...embracing me, wrapping me in your arms....holding gaze so firm...that I would feel imprisoned...in their glow...the swans swam through the streaks of the rainbow...from one end....drowning into the other...and I would get scared when the blues turned black...and the rainbow rusted...forming a lifeless band...each swan dead at the fallen depths...and I scream....waking up....holding onto your arm....you were never gone...you can never go...please .... don't go!




27-06-2017

Image: sudhacolours.co.uk











Image may contain: sky, bird, outdoor, water and nature







Tuesday, June 13, 2017

A Queen....


































All through the time...




I was a Queen...



Never had to lead as You...


Now time has casted a horrible spell...


I rise to hold the sword as You....


In your absence I am the King....


To rule to fight, to protect...


My kingdom and my Will...









(C) Ravinder Kaur

image source: quora.com


Monday, February 13, 2017

The Undelivered Letter



The undelivered letter...













My heart was torn, when I had no news of him....I waited on the steps near the pavilion. My heart kept on swinging beats from four to one....anxiety took over me....whether he would come or not , I had no idea.....


The dripping rains, I thought were the reason of his absence but now the sky was getting clear of the dark clouds.The sun was showing in slowly, yet mildly like waiting with me for him to appear here .


It has been three hours and he hasn't even called me. Am more than nervous....am more than destroyed. My sobs start without warning and I hear the sad sound of my heart .


May be...may be.... But it is now time and I can't fool my heart any more. He won't come. Am left alone....abandoned like an unwanted child.


I call him on his number , the ring is buzzing .....he takes my call and in bewilderment quizzes me about my whereabouts. I tell him am outside the metro railway station, waiting for him. And he gives in a surprised sound not knowing it. He tells me to wait there and he'll come.


I feel this wait is endless until I see him through my crying eyes nearly thirty minutes after that call.He comes and hugs me and calls me stupid and idiot. For I came for him from Bangalore to Delhi unannounced.


I told him about his letter, which he kept in the book. And he was shocked that it was the same letter he wanted to give to his first crush at college but couldn't. That undelivered letter chose me to open it and I received all the love, he wished to give to his crush.


I was surprised whether it was for me , yes I assumed it was for me, for it was addressed to Navya and my name IS Navya..





©Ravinder Kaur

14-02-2017

#Love

#iloveyou

#Valentine'sday


Tuesday, January 31, 2017

सांसें...











मोहब्बत कितनी अजीब होती  है न..... 


जब हम इसका इन्तज़ार करते हैं तो ये कोसो दूर भागती है..... और जब इससे रूठ के  चले जाओ, तो यही मोहब्बत .... इश्क़ आपको  डुबाने को ऐसा बेकरार होती है कि  क्या कहने.... 


सच में.... मैंने कभी नहीं सोचा था कि  मुझे भी इश्क़ होगा...  सोचा था  पहली मुलाक़ात  में ही सब कुछ बता दूंगी पर ...... पर उसको देखते ही मैं तो खुद को ही भूल गयी ..... वो एक घंटे की मुलाक़ात शायद मेरी ज़िन्दगी का सब से हसीन वक़्त था..... लेकिन  मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं, कि उसका साथ मुझे उम्र भर के लिए मिले..... इसलिए आज मैं उसको मिल के सच बता दूंगी। ....." आयशा ! क्या कर रही हो यहाँ बैठे..... " वह आ चुका था।






" बस तुम्हारा  इंतज़ार था केतन ....कैसे हो?




"मैं तो ठीक हूँ मैडम, यहाँ क्यों बुलाया मिलने को।  पता है न, एक हफ्ते में हमारी शादी है। ....और माँ को पता चला तो बहुत डाँट  पड़ेगी....."





"जानती हूँ, पर सुनो...... देखो...... ", पसीने से मेरा माथा भीग चुका था। ..... और केतन अपने रुमाल से उसे पोंछ रहा था।




" जी मैडम, देख रहा हूँ, सुन भी रहा हूँ..... बात क्या है? शादी करने से डर तो नही लग रहा? वैसे तुम्हारा चेहरा देख के तो यही लग रहा है कि  तुम्हारी सिटटी  पिटटी  गुल  हो गयी। ...हा हा हा। ...." 





"देखो केतन, मेरी बात ध्यान से सुनो..... मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। ....... प्लीज ये शादी रोक दो..... " मैं एका - एक बोल पड़ी।



" आयशा मज़ाक मत करो..... !!!!!"



"ये मज़ाक नहीं है केतन..... मैं सीरियस हूँ.... प्लीज बात को समझो।"



" आखिर बात क्या है? कुछ बोलोगी भी!!!! कब से तुम यही बात कह रही हो, कि  शादी नही कर सकती....पर क्यों? बोलो?"



" क्योकि। .....क्योकि मुझे अस्थमा है.... केतन।"



केतन मुझे घूर घूर के देख रहा था.... मानो उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था मेरी बातों पर....



" मैं नहीं चाहती कि  तुम्हारी ज़िन्दगी मेरे साथ बर्बाद हो.... मुझे एक्यूट अस्थमा है। ... और इसका  कोई इलाज नहीं... सिर्फ प्रिकॉशन्स और मेडिसिन्स के नाम पे इनहेलर, क्या तुम एक बीमार लड़की को अपना हमसफ़र बनाओगे? "मैं रोते रोते , अपना दुःख बयाँ  कर रही थी , टेबल को देखते देखते.... फिर नज़र उठाई तो देखा.... देखा कि  केतन जा रहा था।



बड़ी मुश्किल से अपने आंसुओं को पोंछ के मैं घर की तरफ चल पड़ी... रास्ते में यही सोचती रही कि....   जब घरवालों को पता चलेगा तो क्या होगा। ....वे मुझे माफ़ नहीं करेंगे, क्योकि  एक तो अच्छा रिश्ता हाथ से निकल गया और जगत हसाई भी हो गयी....



माँ कोसेगी कि  शादी को एक हफ्ता रह गया था, अगर चुप कर जाती तो क्या बिगड़ जाता.... पापा मुझसे बात नहीं करेंगे.... मामाजी भी नाराज़ हो जायेंगे..... समाज में बातें होंगी... लोग हसेंगे मेरी बेवकूफी पे..... लेकिन .. लेकिन मैं खुद को कैसे माफ़ करती !!!!





घर के बाहर  कार खड़ी  थी .... शायद कोई आया है..... सामने के दरवाज़े से अंदर नहीं जा सकती, नही तो जो कोई आएं हैं ,  बोलेंगे कि  अगले हफ्ते शादी है और ये लड़की बाहर है। .... सोचते हुए मैं पीछे के दरवाज़े से रसोई में होते हुए अपने बैडरूम में चली गयी ... लिविंग रूम से आवाज़ नहीं आ रही, सब शांत , कुछ समझ नहीं आ रहा , झाँकने पे पता चला कि केतन अपने मम्मी पापा के साथ आया है।



दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा है..... मैं वापस अपने कमरे की ओर आ जाती हूँ.... बेचैन सी सांसें तेज़ हो रही हैं , मैं ज़्यादा ही सोच रही हूँ शायद....खुद को शांत रखने  की कोशिश कर रही हूँ.... यही तो मैं चाहती थी... कि ये शादी न हो, तो अब क्यों मैं ही बेचैन हूँ? मेरा इनहेलर नहीं मिल रहा। ..... शायद ड्रावर में है...... लेकिन मैं ठीक हूँ। .. माँ आ गयी। ...

"मिल गयी शान्ति तुझे..... कि और हमारा तमाशा बनाएगी.... बोल.....बोल....क्या दुश्मनी निभायी बेटा  तूने... वाह। ....बहुत  खूब.... "



मुझे कोई जवाब नहीं सूझ रहा...... सांस फूल रही है बस.... बेबस सी खड़ी  बस..... माँ को देख रही हूँ..... माँ को जब तक समझ आया कि  मेरी सांसें रुक रही हैं, दौड़ के वो  इनहेलर ले आई, मेरा दुपट्टा दूर फ़ेंक दिया गले से उतार के.... इनहेलर मेरे होंठों से लगा के मुझे सहारा दिया और सोफे पे बिठा दिया...."



मैं अब ठीक थी.... पहले से..... मगर बात नहीं कर पा   रही थी..... फिर भी मेरा उन्हें बताना ज़रूरी था..... ," माँ, देखो... उनके परिवार को ये नहीं मालूम था कि  मुझे एक्यूट अस्थमा है... और इस तरह मुझे कभी अटैक आ जाये तो वो क्या करेंगे? बोलो....... वो.... वो बाद में दोष ही देते ना.... सारी ज़िन्दगी मुझको..... और आप सबको कि हमने उनको धोखा दिया..... एक बीमार लड़की उनके बेटे के पल्ले बाँध दी, मैं आपकी बेइज़ती नहीं सेहन कर सकुंगी माँ...... "



" आयशा। ... क्या वो तुम्हे पसंद  नहीं ? बोलो बेटा। .. अगले हफ्ते तुम्हारी शादी है.... अब। ...."

"माँ.... मैं केतन से बहुत  प्यार करती हूँ.... मौत का डर कभी नहीं था मुझको..... लेकिन जब से उसको चाहा..... मुझे डर  लगता है.... हम दोनों का साथ न जाने कब तक बना रहेगा..... पा के खोने में जितना दुःख होगा, इसका अंदाजा मुझे अभी से हो रहा है...इससे अच्छा मैं उससे दूर ही रहूँ.... उसे किसी और का बनता देखू.... "



अंदर से बुलाने की आवाज़आयी और माँ और मैं दोनों चल पड़े.... मैं सर झुकाये दोषियों की तरह अपनी सुनवाई का इंतज़ार कर रही हूँ , पापा मुझे अजीब से भाव से देख रहे हैं , केतन के पापा और मम्मी गुस्से से और केतन.... वह एक तरफ खड़ा मुझसे नज़रें नहीं मिला रहा ..... मैं अपने निश्चय पे पक्की थी और मुझे कोई अफ़सोस भी नहीं था.... खुद को थोड़ी और हिम्मत बांधती, मैं उनको नमस्ते करने लगी....



" बेटा। ... इधर आओ। .."केतन के पापा मुझे बुला रहे हैं,.....

मैं उनके पास बैठ जाती हूँ, वह मुझे देख रहे हैं, पर मैं अपनी नज़रें फर्श से नही उठा रही। ...

केतन ने बताया की तुम्हे अस्थमा है और उसे परेशानी है इस शादी में.... "



एक अनकही सी उम्मीद यु बिखर रही थी, जो न चाहते हुए भी  थी.... अच्छा है.... तोड़ दो ये रिश्ता..... अपनी ऊँगली में पहनी सगाई की उस डायमंड रिंग को आधे रस्ते निकाल ही चुकी थी कि  वह बोल पड़े......" तुम न बताती तो ये शादी हो ही जाती पर अब ....... अब ये शादी नहीं...... "



मेरी सांस रुक रही थी.... फिर से और धड़कन भी.... शायद मैं नहीं बचूंगी.......



"अब ये शादी नहीं रुकेगी..... तुम नहीं बताती तो क्या होता.... तुम्हारे माँ पापा  और मामा  ने पहले ही बता दिया था हमे.... और केतन को भी ये पहले से मालूम था..... "



अंगूठी खिसक चुकी थी वापस ऊँगली  में .... और नज़रें उठा के देखा तो चेहरों पे मुस्कान थी और केतन..... हमेशा की तरह... अनबीलीवबली  ड्रामेबाज़!









इमेज सोर्स : www.americannursetoday.com




Life is a withering winter

 When people ask me... do I still remember you? I go in a trance, my lips hold a smile and my eyes are visible with tears about to fall. I r...