मोहब्बत कितनी अजीब होती है न.....
जब हम इसका इन्तज़ार करते हैं तो ये कोसो दूर भागती है..... और जब इससे रूठ के चले जाओ, तो यही मोहब्बत .... इश्क़ आपको डुबाने को ऐसा बेकरार होती है कि क्या कहने....
सच में.... मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे भी इश्क़ होगा... सोचा था पहली मुलाक़ात में ही सब कुछ बता दूंगी पर ...... पर उसको देखते ही मैं तो खुद को ही भूल गयी ..... वो एक घंटे की मुलाक़ात शायद मेरी ज़िन्दगी का सब से हसीन वक़्त था..... लेकिन मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं, कि उसका साथ मुझे उम्र भर के लिए मिले..... इसलिए आज मैं उसको मिल के सच बता दूंगी। ....." आयशा ! क्या कर रही हो यहाँ बैठे..... " वह आ चुका था।
" बस तुम्हारा इंतज़ार था केतन ....कैसे हो?
"मैं तो ठीक हूँ मैडम, यहाँ क्यों बुलाया मिलने को। पता है न, एक हफ्ते में हमारी शादी है। ....और माँ को पता चला तो बहुत डाँट पड़ेगी....."
"जानती हूँ, पर सुनो...... देखो...... ", पसीने से मेरा माथा भीग चुका था। ..... और केतन अपने रुमाल से उसे पोंछ रहा था।
" जी मैडम, देख रहा हूँ, सुन भी रहा हूँ..... बात क्या है? शादी करने से डर तो नही लग रहा? वैसे तुम्हारा चेहरा देख के तो यही लग रहा है कि तुम्हारी सिटटी पिटटी गुल हो गयी। ...हा हा हा। ...."
"देखो केतन, मेरी बात ध्यान से सुनो..... मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। ....... प्लीज ये शादी रोक दो..... " मैं एका - एक बोल पड़ी।
" आयशा मज़ाक मत करो..... !!!!!"
"ये मज़ाक नहीं है केतन..... मैं सीरियस हूँ.... प्लीज बात को समझो।"
" आखिर बात क्या है? कुछ बोलोगी भी!!!! कब से तुम यही बात कह रही हो, कि शादी नही कर सकती....पर क्यों? बोलो?"
" क्योकि। .....क्योकि मुझे अस्थमा है.... केतन।"
केतन मुझे घूर घूर के देख रहा था.... मानो उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था मेरी बातों पर....
" मैं नहीं चाहती कि तुम्हारी ज़िन्दगी मेरे साथ बर्बाद हो.... मुझे एक्यूट अस्थमा है। ... और इसका कोई इलाज नहीं... सिर्फ प्रिकॉशन्स और मेडिसिन्स के नाम पे इनहेलर, क्या तुम एक बीमार लड़की को अपना हमसफ़र बनाओगे? "मैं रोते रोते , अपना दुःख बयाँ कर रही थी , टेबल को देखते देखते.... फिर नज़र उठाई तो देखा.... देखा कि केतन जा रहा था।
बड़ी मुश्किल से अपने आंसुओं को पोंछ के मैं घर की तरफ चल पड़ी... रास्ते में यही सोचती रही कि.... जब घरवालों को पता चलेगा तो क्या होगा। ....वे मुझे माफ़ नहीं करेंगे, क्योकि एक तो अच्छा रिश्ता हाथ से निकल गया और जगत हसाई भी हो गयी....
माँ कोसेगी कि शादी को एक हफ्ता रह गया था, अगर चुप कर जाती तो क्या बिगड़ जाता.... पापा मुझसे बात नहीं करेंगे.... मामाजी भी नाराज़ हो जायेंगे..... समाज में बातें होंगी... लोग हसेंगे मेरी बेवकूफी पे..... लेकिन .. लेकिन मैं खुद को कैसे माफ़ करती !!!!
घर के बाहर कार खड़ी थी .... शायद कोई आया है..... सामने के दरवाज़े से अंदर नहीं जा सकती, नही तो जो कोई आएं हैं , बोलेंगे कि अगले हफ्ते शादी है और ये लड़की बाहर है। .... सोचते हुए मैं पीछे के दरवाज़े से रसोई में होते हुए अपने बैडरूम में चली गयी ... लिविंग रूम से आवाज़ नहीं आ रही, सब शांत , कुछ समझ नहीं आ रहा , झाँकने पे पता चला कि केतन अपने मम्मी पापा के साथ आया है।
दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा है..... मैं वापस अपने कमरे की ओर आ जाती हूँ.... बेचैन सी सांसें तेज़ हो रही हैं , मैं ज़्यादा ही सोच रही हूँ शायद....खुद को शांत रखने की कोशिश कर रही हूँ.... यही तो मैं चाहती थी... कि ये शादी न हो, तो अब क्यों मैं ही बेचैन हूँ? मेरा इनहेलर नहीं मिल रहा। ..... शायद ड्रावर में है...... लेकिन मैं ठीक हूँ। .. माँ आ गयी। ...
"मिल गयी शान्ति तुझे..... कि और हमारा तमाशा बनाएगी.... बोल.....बोल....क्या दुश्मनी निभायी बेटा तूने... वाह। ....बहुत खूब.... "
मुझे कोई जवाब नहीं सूझ रहा...... सांस फूल रही है बस.... बेबस सी खड़ी बस..... माँ को देख रही हूँ..... माँ को जब तक समझ आया कि मेरी सांसें रुक रही हैं, दौड़ के वो इनहेलर ले आई, मेरा दुपट्टा दूर फ़ेंक दिया गले से उतार के.... इनहेलर मेरे होंठों से लगा के मुझे सहारा दिया और सोफे पे बिठा दिया...."
मैं अब ठीक थी.... पहले से..... मगर बात नहीं कर पा रही थी..... फिर भी मेरा उन्हें बताना ज़रूरी था..... ," माँ, देखो... उनके परिवार को ये नहीं मालूम था कि मुझे एक्यूट अस्थमा है... और इस तरह मुझे कभी अटैक आ जाये तो वो क्या करेंगे? बोलो....... वो.... वो बाद में दोष ही देते ना.... सारी ज़िन्दगी मुझको..... और आप सबको कि हमने उनको धोखा दिया..... एक बीमार लड़की उनके बेटे के पल्ले बाँध दी, मैं आपकी बेइज़ती नहीं सेहन कर सकुंगी माँ...... "
" आयशा। ... क्या वो तुम्हे पसंद नहीं ? बोलो बेटा। .. अगले हफ्ते तुम्हारी शादी है.... अब। ...."
"माँ.... मैं केतन से बहुत प्यार करती हूँ.... मौत का डर कभी नहीं था मुझको..... लेकिन जब से उसको चाहा..... मुझे डर लगता है.... हम दोनों का साथ न जाने कब तक बना रहेगा..... पा के खोने में जितना दुःख होगा, इसका अंदाजा मुझे अभी से हो रहा है...इससे अच्छा मैं उससे दूर ही रहूँ.... उसे किसी और का बनता देखू.... "
अंदर से बुलाने की आवाज़आयी और माँ और मैं दोनों चल पड़े.... मैं सर झुकाये दोषियों की तरह अपनी सुनवाई का इंतज़ार कर रही हूँ , पापा मुझे अजीब से भाव से देख रहे हैं , केतन के पापा और मम्मी गुस्से से और केतन.... वह एक तरफ खड़ा मुझसे नज़रें नहीं मिला रहा ..... मैं अपने निश्चय पे पक्की थी और मुझे कोई अफ़सोस भी नहीं था.... खुद को थोड़ी और हिम्मत बांधती, मैं उनको नमस्ते करने लगी....
" बेटा। ... इधर आओ। .."केतन के पापा मुझे बुला रहे हैं,.....
मैं उनके पास बैठ जाती हूँ, वह मुझे देख रहे हैं, पर मैं अपनी नज़रें फर्श से नही उठा रही। ...
केतन ने बताया की तुम्हे अस्थमा है और उसे परेशानी है इस शादी में.... "
एक अनकही सी उम्मीद यु बिखर रही थी, जो न चाहते हुए भी थी.... अच्छा है.... तोड़ दो ये रिश्ता..... अपनी ऊँगली में पहनी सगाई की उस डायमंड रिंग को आधे रस्ते निकाल ही चुकी थी कि वह बोल पड़े......" तुम न बताती तो ये शादी हो ही जाती पर अब ....... अब ये शादी नहीं...... "
मेरी सांस रुक रही थी.... फिर से और धड़कन भी.... शायद मैं नहीं बचूंगी.......
"अब ये शादी नहीं रुकेगी..... तुम नहीं बताती तो क्या होता.... तुम्हारे माँ पापा और मामा ने पहले ही बता दिया था हमे.... और केतन को भी ये पहले से मालूम था..... "
अंगूठी खिसक चुकी थी वापस ऊँगली में .... और नज़रें उठा के देखा तो चेहरों पे मुस्कान थी और केतन..... हमेशा की तरह... अनबीलीवबली ड्रामेबाज़!
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